#1 थोड़ा रफु करके देखिये ना ,
फिर से नई सी लगेगी जिंदगी ही तो है।
Guljaar sahab
#2 मै वो क्यो बनु जो तुम्हे चाहिए,
तुम्हें वो कुबूल क्यों नही जो मैं हु।
Guljaar sahab
#3 बहुत छालें है उसके पैरों मे कम्बख्त
उसूलों पर चला होगा।
Guljaar sahab
#4 बहुत अंदर तक जला देती हैं वो शिकायतें,
जो बयां नहीं होती।
Guljaar sahab
#5 कोन कहता है की हम झूठ नही बोलते,
एक बार खैरियत पूछी तो होती।
Guljaar sahab
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