#जिसके नसीब में हों जमानें की ठोकरें,
उस बदनसीब से न सहारे की बात कर।
#आँखें थक गई हैं अब आसमान को देखते देखते,
पर वो तारा नही टूटता जिसे देख कर तुझे माँग लूँ।
#हम तो मजाक मे भी किसी का दिल दुखाने से डरतें हैं,
पता नही कैसे लोग सोच समझ कर भी दिलों से खेल जाते हैं।
#दिल गुमसुम, जूबं खामोश, यें आँखें आज नम क्यों हैं।
जो कभी अपना हुआ ही नही, उसे खोने का गम क्यों है
#आदत बदल सी गई है वक्त काटने की,
हिम्मत ही नही होती अब दर्द बांटने की।
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